Friday 7 September 2012

इज्ज़त का पैमाना

 मेरी तनख्वाह से आंकते हैं लोग !
इज्ज़त का पैमाना बस यही रह गया !

एक ज़माना था जब धन और सम्पति उन्ही लोगो के पास होती थी जो बुद्धिजीवी लोग कहलाते थे .

बुद्धिजीवी वोह प्राणी हुआ करते थे जो अपनी जीविका अपनी बुद्धिमता के दम पर चलाते थे। याद कीजिये कुछ सौ बरस पहले का ज़माना। जब इंसान की पहचान उसकी पगड़ी से या पाण्डित्य  से हुआ करती थी .
बादशाह अकबर के दरबार में नौ रतन हुआ करते थे जो अपने अपने फन में माहिर थे और धन और शोहरत उनके कदम चूमती थी।
उससे पहले राजा क्रिशनादित्य  के दरबार में तेनालीराम  थे , जिनको बुधि  का लोहा सब मानते थे और समृधि उनके कदम चूमती थी।

पर अब ज़माना तेनालीराम का नहीं तेलगी जैसे लोगो का है। वोह नवरतन पता नहीं किधर खो गये . इज्ज़त की परिभाषा अब आपके सम्पति और बैंक बैलेंस से है . चाहे वोह धन आपके पास कैसे आया कोई बात नहीं , आपने क्या गलत किया, कोई बात नहीं , पर अगर आप के पास लक्ष्मी है तो आप बुद्धिमान है अन्यथा आप की जगह अंतिम पंक्ति में है

अब तो यह हाल हो गया है की आपके पास सम्पति नहीं तो आपकी पत्नी के लिए भी आप एक looser हैं।

पत्नी भी आपको आपके बैंक बैलेंस या तनख्वाह की वजह से मिलती है . आप की क़ाबलियत क्या है कोई नहीं पूछता .

अरे आपकी क़ाबलियत ही आपको सम्पति और समर्धि दिलाएगी . पर कोई नहीं जान्ने की कोशिश करेगा की आप कितने शिक्षित है या समझदार हैं।

पर गम नहीं क्यूंकि ज़माना ही ऐसा है की आपको अब खुद को IMPROVE नहीं बल्कि हर कदम पर PROVE करना होता है।

समय का अभाव अब इतना है जिंदगी में की , आपकी क़ाबलियत का पैमाना या आपकी सफलता का पैमाना बस आपके
द्वारा अर्जित धन से होता है।
किसके पास समय है की आप के बुद्धिमता का आंकलन करे . पर क्या पैसा इतना महतवपूर्ण है कि  इंसान की खुद की शख्सियत धन सम्पति की एक परछाई बन कर रह जाये .

मेरे ख़याल से तो नहीं पर क्या करे आज धन के बिना जिंदगी को जीने को तो छोडो , चलाना भी मुश्किल है .
हर आदमी भाग रहा है धन के लिए ...... क्यूँ ?..... किसके लिए ?...... खुद के लिए?........ नहीं ....... वोह तो उलझ गया है इस चक्रविहू में .
 चिंता है उसको अपने बच्चे की स्कूल फीस की , चिंता है पत्नी की, फिर अंत में चिंता है खुद की। इस वजह से समाज में यह धारणा बन गई है की आप तभी काबिल है जब आप अपने बच्चो और परिवार की ज़रूरत पूरी कर सकते हो
सो क़ाबलियत की परिभाषा कब धन सम्पति बन गई पता ही नहीं लगा . आपकी बुद्धिमता के बारे में तभी मालूम चलेगा दूसरों को जब वोह आपको सुनेगे या समझेगे .

पर वोह तभी आपको सुनेगे या समझेगे जब वोह आपको काबिल समझेंगे . और आप काबिल तभी है जब आपके पास  धन है . वरना  समय किधर है किसी के पास आपके लिये .

आखिर उनको भी तो खुद को बुद्धिमान साबित करना है ........

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